डार्क ऑक्सीजन क्या है?
- परिचय:
- वैज्ञानिकों ने वितलीय क्षेत्र (जहाँ सूर्य का प्रकाश अत्यंत कम है और प्रकाश संश्लेषण के लिये अपर्याप्त है) के कुछ क्षेत्रों में ऑक्सीजन की सांद्रता में अप्रत्याशित वृद्धि देखी।
- शोधकर्त्ताओं ने कहा कि यह खोज ऑक्सीजन के एक नए स्रोत का प्रतिनिधित्व करती है जहाँ प्रकाश संश्लेषण नहीं होता है, और इसे ‘डार्क ऑक्सीजन’ नाम दिया गया है।
- डार्क ऑक्सीजन उत्पन्न होने का संभावित कारण:
- आमतौर पर ऑक्सीजन एक वैश्विक परिसंचरण तंत्र ‘ग्रेट कन्वेयर बेल्ट’ द्वारा प्रदान की जाती है, जो स्थानीय उत्पादन के बिना कम हो जाएगी, क्योंकि छोटे जीव-जंतु इसे ग्रहण कर लेते हैं।
- ऑक्सीजन उत्पादन के लिये एक परिकल्पना यह है कि बहुधात्विक ग्रंथिकाएँ (पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स) विद्युत आवेशों का परिवहन करते हैं जो जल के अणुओं का अपघटन करते हैं, जिससे ऑक्सीजन मुक्त होती है।
- पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स/बहुधात्विक ग्रंथिका समुद्र तल पर पाए जाने वाले लोहे, मैंगनीज हाइड्रॉक्साइड और चट्टान के ढेर होते हैं।
- हालाँकि, बहुधात्विक ग्रंथिकाओं की ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता का सटीक ऊर्जा स्रोत अभी भी स्पष्ट नहीं है।
- अध्ययन के स्थान:
- यह क्षेत्र विश्व में पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स की सर्वाधिक सांद्रता के लिये जाना जाता है।
- यह अध्ययन मैक्सिको के पश्चिमी तट के क्लेरियन-क्लिपर्टन ज़ोन में किया गया था।
- यह क्षेत्र विश्व में पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स की सर्वाधिक सांद्रता के लिये जाना जाता है।
गहरे समुद्र में खनन क्या है?
- परिचय:
- गहरे समुद्र में खनन से तात्पर्य गहरे समुद्र तल से खनिज और धातु निष्कर्षण की प्रक्रिया से है। गहरे समुद्र में खनन के तीन प्रकार हैं:
- समुद्र तल में जमा-समृद्ध बहुधातु ग्रंथिकाओं (Nodules) का पृथक्करण
- समुद्री तल से बड़े पैमाने पर सल्फाइड भंडार का खनन
- चट्टान से कोबाल्ट परतों का पृथक्करण।
- इन ग्रंथिकाओं (Nodules), भंडारों और परतों में निकेल, दुर्लभ पृथ्वी तत्त्व, कोबाल्ट और अन्य पदार्थ पाए जाते हैं, ये नवीकरणीय ऊर्जा के दोहन में प्रयोग की जाने वाली बैटरी तथा अन्य सामग्रियों, सेलफोन एवं कंप्यूटर जैसी रोजमर्रा की तकनीक के लिये भी आवश्यक होती हैं।
- पॉलीमेटेलिक ग्रंथिकाओं की उपलब्धता के कारण आने वाले दशकों में गहरे समुद्र में खनन एक प्रमुख समुद्री संसाधन निष्कर्षण गतिविधि बनने की उम्मीद है।
- गहरे समुद्र में खनन से तात्पर्य गहरे समुद्र तल से खनिज और धातु निष्कर्षण की प्रक्रिया से है। गहरे समुद्र में खनन के तीन प्रकार हैं:
- पर्यावरणीय चिंता:
- ‘डार्क ऑक्सीजन’ की खोज से इस ऑक्सीजन स्रोत पर निर्भर पारिस्थितिकी तंत्र को संभावित नुकसान की चिंता बढ़ गई है। विशेषज्ञों को चिंता है कि गहरे समुद्र में खनन (जिसमें पॉलीमेटेलिक ग्रंथिकाओं को हटाया जाता है) इन समुद्री पर्यावरण के लिये हानिकारक हो सकता है।
- नवंबर 2023 में, एक अध्ययन ने संकेत दिया कि गहरे समुद्र में खनन से गहरे समुद्र में रहने वाली जेलीफ़िश को नुकसान हो सकता है (समुद्र के जल में कीचड़ के गुबार बनाकर जो समुद्री प्रजातियों के पोषण और प्रजनन चक्र में हस्तक्षेप करते हैं)।
- भूमि के ऊपर स्थित पारिस्थितिकी तंत्रों की तुलना में वितलीय क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्रों के बारे में सीमित वैज्ञानिक ज्ञान, इन पारिस्थितिकी तंत्रों पर गहरे समुद्र में खनन के संभावित प्रभाव और वैश्विक जलवायु प्रक्रियाओं में उनकी भूमिका का आकलन करने के प्रयासों को जटिल बना सकता है।
- भारतीय संदर्भ:
- भारत प्रशांत महासागर में गहन समुद्र में खनिजों की खोज के लिये लाइसेंस हेतु आवेदन करना चाहता है।
- इसके अलावा, वर्ष 1987 में भारत ‘अग्रणी निवेशक’ का दर्जा पाने वाला पहला देश था और उसे बहुधात्विक ग्रंथि अन्वेषण के लिये मध्य हिंद महासागर बेसिन (CIOB) में लगभग 1.5 लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र दिया गया था।
- मध्य हिंद महासागर बेसिन में समुद्र तल से पॉलीमेटेलिक ग्रंथियों का अन्वेषण करने के भारत के विशेष अधिकार को वर्ष 2017 में पाँच वर्षों के लिये बढ़ा दिया गया था।
- भारत ने वर्ष 2024 में अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर हिंद महासागर के समुद्री क्षेत्र में अन्वेषण के अधिकार के लिये आवेदन किया है, जिसमें कोबाल्ट समृद्ध अफानासी निकितिन सीमाउंट (AN सीमाउंट) भी शामिल है।
- भारत का पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय हिंद महासागर में समान संसाधनों की खोज और खनन के लिये अपने ‘डीप ओशन मिशन’ के हिस्से के रूप में एक पनडुब्बी वाहन (समुद्रयान मिशन) का निर्माण कर रहा है।
- भारत प्रशांत महासागर में गहन समुद्र में खनिजों की खोज के लिये लाइसेंस हेतु आवेदन करना चाहता है।
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